Posted by Chief Editor Manish Saklani on 2023-12-29 14:47:33 |
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Ayodhya airport: अयोधà¥à¤¯à¤¾ हवाई अडà¥à¤¡à¥‡ का नाम बदलकर महान हिंदू ऋषि के नाम पर ‘महरà¥à¤·à¤¿ वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ इंटरनेशन à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿâ€™ रखा जाà¤à¤—ा, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पवितà¥à¤° महाकावà¥à¤¯ रामायण लिखी थी, जिसमें 24,000 शà¥à¤²à¥‹à¤• शामिल हैं। जानें Ayodhya airport का नाम आखिर महरà¥à¤·à¤¿ वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ के नाम पर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पड़ा इसका रहसà¥à¤¯à¥¤
अयोधà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ का नाम महरà¥à¤·à¤¿ वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ के नाम पर इसलिठपड़ा है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ जी ही थे जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पवितà¥à¤° महाकावà¥à¤¯ रामायण लिखकर हम सà¤à¥€ को à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ राम के बारे में जानकारी दे पाà¤à¥¤ अगर वह नहीं होते तो हम लोग कà¤à¥€ ना जानते कि इस पृथà¥à¤µà¥€ पर à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€ राम कà¤à¥€ जनà¥à¤® लिठथे।
महरà¥à¤·à¤¿ वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ का जनà¥à¤® तà¥à¤°à¥‡à¤¤à¤¾ यà¥à¤— (हिंदू धरà¥à¤® में चार यà¥à¤—ों में से दूसरा, जिसके दौरान à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ के तीन अवतारों का जनà¥à¤® हà¥à¤† था) में à¤à¤• ऋषि (ऋषि) पà¥à¤°à¤šà¥‡à¤¤à¤¸à¤¾ के घर रतà¥à¤¨à¤¾à¤•à¤° के रूप में हà¥à¤† था। जब वह छोटा था, तो वह जंगल में खो गया, और à¤à¤• शिकारी ने उसे अपनी देखà¤à¤¾à¤² में ले लिया। उनके नकà¥à¤¶à¥‡à¤•à¤¦à¤® पर चलते हà¥à¤, रतà¥à¤¨à¤¾à¤•à¤° à¤à¤• उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ शिकारी बन गया और à¤à¤• सà¥à¤‚दर महिला से शादी कर ली। हालांकि, जैसे-जैसे उसका परिवार बढ़ता गया, उसके लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ खिलाना मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² हो गया, और वह डकैती में बदल गया।à¤à¤• दिन, रतà¥à¤¨à¤¾à¤•à¤° ने नारदमà¥à¤¨à¤¿ (à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ ऋषि) पर हमला किया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह जंगल पार कर रहा था। नारद ने वीणा बजाकर à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की। नारद की आंखों में à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ देखते ही रतà¥à¤¨à¤¾à¤•à¤° की कà¥à¤°à¥‚रता पिघल गई। तब, नारद ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤—वान राम के पवितà¥à¤° नाम से परिचित कराया और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नारद के वापस आने तक इस पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करने के लिठकहा।
कई साल बाद, जब नारद लौटे, तो रतà¥à¤¨à¤¾à¤•à¤° का शरीर चींटियों (चींटियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनाठगठटीले के रूप में à¤à¤• घोंसला) से ढका हà¥à¤† था। नारद ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बताया कि उनकी तपसà¥à¤¯à¤¾ रंग लाई, जिससे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤°à¥à¤·à¤¿ की उपाधि मिली। वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ (चींटी) से पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® होने के कारण उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ नाम दिया गया था।महरà¥à¤·à¤¿ वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ ने गंगा नदी के तट पर अपना आशà¥à¤°à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया। à¤à¤• दिन, नारद ने आशà¥à¤°à¤® का दौरा किया और à¤à¤—वान राम की कहानी सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆà¥¤ बाद में, à¤à¤—वान बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नींद में शà¥à¤²à¥‹à¤•à¥‹à¤‚ (छंदों) में रामायण लिखने का निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ दिया।
महरà¥à¤·à¤¿ वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ ने न केवल रामायण की रचना की, बलà¥à¤•à¤¿ वे इसका à¤à¤• हिसà¥à¤¸à¤¾ थे। वन में अपने 14 साल के वनवास के दौरान, à¤à¤• दिन, à¤à¤—वान राम अपनी पतà¥à¤¨à¥€, सीता और छोटे à¤à¤¾à¤ˆ, लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ के साथ वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ के आशà¥à¤°à¤® में गà¤à¥¤ वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ के अनà¥à¤°à¥‹à¤§ पर, à¤à¤—वान राम ने चितà¥à¤°à¤•à¥‚ट पहाड़ी पर अपने आशà¥à¤°à¤® के पास अपनी à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¥€ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया।
जब à¤à¤—वान राम ने सीता को वन में à¤à¥‡à¤œà¤¾, तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ के आशà¥à¤°à¤® में शरण ली। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ के आशà¥à¤°à¤® में अपने जà¥à¤¡à¤¼à¤µà¤¾ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚, लावा और कà¥à¤¶à¤¾ को à¤à¥€ जनà¥à¤® दिया। à¤à¤• बार, महरà¥à¤·à¤¿ वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ लड़कों को अयोधà¥à¤¯à¤¾ ले गà¤, जहां à¤à¤—वान राम ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रचित गीत गाते हà¥à¤ सà¥à¤¨à¤¾à¥¤